दुनियाभर में 4.7 करोड़ महिलाएं अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी की शिकार - भारत में 10% एबॉर्शन के मामले बढ़ेंगे


8% नवजात बच्चे मां की वजह से कोरोना का शिकार हुए, 26% महिलाओं की प्रीमैच्योर डिलीवरी हो सकती है 

भारत में लॉकडाउन के चलते 14 लाख एबॉर्शन के मामले बढ़ेंगे, जिनमें 8 लाख से ज्यादा अनसेफ एबॉर्शन की आशंका 

नई दिल्ली. कोरोनावायरस प्रेग्नेंट महिलाओं पर कहर बनकर बरपा है। पिछले दिनों दिल्ली के बिजेंद्र सिंह अपनी प्रेग्नेंट पत्नी को लेबर पेन होने के बाद एक-एक करके 8 अस्पतालों में लेकर गए, लेकिन किसी ने कोरोना की वजह से भर्ती नहीं किया। आखिरकार 15 घंटे बाद उनकी पत्नी की मौत हो गई। 

कुछ ऐसा ही पापुआ न्यू गिनी में भी हुआ था। वहां एक प्रेग्नेंट महिला इलाज के लिए अस्पताल पहुंची, उसे ब्लड प्रेशर की शिकायत थी। अस्पताल वालों ने कोरोना के डर से उसे भर्ती ही नहीं किया। कुछ दिनों बाद वह अंधी हो गई और उसका बच्चा भी नहीं बच सका। 

कोरोनाकाल में इस तरह के कई वाकये सामने आए हैं। संक्रमण के डर से कई महिलाओं ने अस्पताल जाने की बजाए घर में ही डिलिवरी का प्लान बनाया जो बाद में उनके लिए मुसीबत साबित हुआ। हाल ही में बांग्लादेश के ढाका में इस तरह का मामला सामने आया था। 

ग्रामीण और स्लम एरिया में रहने वाली महिलाओं को इस दौरान सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वजह, सरकारी अस्पतालों में कोरोना के कारण जगह नहीं मिलना या बेड उपलब्ध नहीं होना है। यहां तक कि उन्हें लोकल ट्रीटमेंट भी नहीं मिल सका। 

संक्रमण के डर से दुनिया के कई विशेषज्ञ कुछ समय के लिए प्रेग्नेंसी अवॉयड करने की सलाह दे रहे हैं। क्योंकि, संक्रमण का खतरा तो है ही साथ ही इस समय प्रॉपर इलाज भी नहीं मिल पा रहा है। इस समय पैदा होने वाले ज्यादातर बच्चों को टीका भी नहीं लग पा रहा है। 

प्रेग्नेंट महिलाओं को इंटेंसिव केयर की जरूरत 

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान ब्लड फ्लो, मेटाबोलिज्म और हार्ट रेट बढ़ जाता है। इसके साथ ही इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है। इस वजह से सांस लेने में तकलीफ, रेस्पिरेटरी डिसीज और इनफ्लुएंजा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। 

इस वजह से महिलाओं को इंटेंसिव केयर की जरूरत होती है। एक इंटरनेशनल स्टडीज के मुताबिक 96% कोरोना पॉजिटिव महिलाओं में निमोनिया के लक्षण पाए गए।